गुरुवार, 19 जनवरी 2017

एकता की बात सुनते आ रहे


किसी की भीर हरो


आज हर व्यक्तित्व लगता थका हारा है

आज हर व्यक्तित्व लगता थका हारा है
और हर चेहरा की जैसे सर्वहारा है

कौन ज़िम्मेदार है उनकी तबाही का
उनकी किश्ती को भँवर में किसने उतारा है

तोड़ कर पतवार उसकी फेंक दी किसने
कर दिया किसने उसे यों बेसहारा है

मुठ्ठियों में जो वक़्त को कैद करता था
मान ले कि वक़्त ने उसको मारा है

बंद करके कान, चेहरे पर लिए मुस्कान
आप कहते हैं, कहाँ किसने पुकारा है

बंद कर के आँख तुम भी मत कहो 'नसीर'
बहुत दिलकश बहुत अच्छा नज़ारा है

पर्यावरण - इन पेड़ों पर कैसी ये वीरानी है

पर्यावरण

इन पेड़ों पर कैसी ये वीरानी है
टहनी-टहनी बिखरी एक कहानी है

घाटी-घाटी सहमी-सहमी काँप रही
इनकी कथा-व्यथा जानी पहचानी है

इन पेड़ों पर...

यहीं बहा करती थी सुन्दर सी चाँदी
किन्तु आज तो हर झरना बे पानी है

निगल रहा है कौन यहाँ की सुंदरता
कौन बताये ये किसकी शैतानी है

इन पेड़ों पर...

अंग-अंग जंगल के मत काटो
जन-जन तक ये बात पहुँचानी है

प्रकृति द्रोपदी चीर हरण सी चीख रही
हमें, आपको इसकी लाज बचानी है

इन पेड़ों पर...

आओ प्यार की श्रृंखला बनायें

आओ प्यार की श्रृंखला बनायें

कहीं कुछ भी नहीं है जान लो भाईयों
जीना है मुकद्दर यह मान लो भाईयों

खाली हाथ आये थे और जाना भी है
बची है बीच की दूरी मान लो भाईयों

एकता की बात सुनते आ रहे
यही एक कथन सुनते आ रहे

किस तरह खुशहाल हो अपना वतन
युग-युग से यही सुनते आ रहे

आओ प्यार की श्रृंखला बनायें
प्यार को जियें और प्यार को अपनायें

प्यार में पल-पल संजोना जान लें 'नसीर'
संवरती रहे सबकी ज़िन्दगी यही करके दिखायें

होली - अजब है रंग का कमाल आज होली में

होली

अजब है रंग का कमाल आज होली में
कोई अमीर न गरीब आज होली में

सड़क, नुक्कड़, मैदान हो या चौराहा
बच न पाया कोई माई का लाल होली में

अजब है रंग...

किसी ने रंग की तलवार अगर चमकाई
हाथ का रंग बना है ढाल आज होली में

मिट गया भेद आज काले और गोरे का
हुआ हर चेहरा लाल-लाल आज होली में

अजब है रंग...

आज के दिन का अच्छा समाचार है
हो न पाया कोई बवाल आज होली में

आज के दिन को धन्यवाद तो दे दो 'नसीर'
प्यार से सबकी गली दाल आज होली में

अजब है रंग...

बॅटवारा - जिस घर में बटवारा हो जाता है

बॅटवारा

जिस घर में बटवारा हो जाता है
प्राणी प्राणी बंजारा हो जाता है

हो जाता है प्यार एक सपने जैसा
व्यक्ति स्वयं का हत्यारा हो जाता है

किस तरह की भावना में आज हम बहने लगे
हम नहीं हैं एक, अब तो लोग  कहने लगे

एकता की मीनारें खड़ी की हमने 'नसीर '
उसके गुम्बद ही अचानक किस लिए ढहने लगे

घर में खड़ी एक दीवार है आई है बॅटवारे की
तोड़ उसे जोड़ो दिल प्यार है अपनाने की