गुरुवार, 19 जनवरी 2017

वतन - कुछ लोग आज वतन तोड़ रहे हैं

वतन

कुछ लोग आज वतन तोड़ रहे हैं
अपने ही पैरों की ज़मीं छोड़ रहे हैं

कुछ लोग चाहते हैं ऊँचा रहे मस्तक
कुछ लोग देश का गाला मरोड़ रहे हैं

कुछ लोग लहू बूँद -बूँद रहे जमा
कुछ हैं जो लगातार ही निचोड़ रहे हैं

कुछ लोग एकता की कोशिशों में लगे हैं
कुछ हैं जो मुल्क तोड़ फोड़ रहे हैं

आओ 'नसीर' मिलकर उनका हाथ पकड़ लें
चुपके से जो की भारत की जड़ें गोड़ रहे हैं

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें